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अंगुलिमाल डाकू साधू कैसे बना। Daku Angulimal ki Kahani

August 1, 2021 by Yashwant Bisht
daku angulimal ki kahani

Daku Angulimal ki Kahani / Daku Angulimal ki Kahani in Hindi. डाकू अंगुलिमाल की कहानी। डाकू अंगुलिमाल और गौतम बुद्ध। डाकू अंगुलिमाल और महात्मा बुद्ध।

Table of Contents

  • Daku Angulimal ki Kahani / Daku Angulimal ki Kahani in Hindi. डाकू अंगुलिमाल की कहानी। डाकू अंगुलिमाल और गौतम बुद्ध। डाकू अंगुलिमाल और महात्मा बुद्ध।
    • अंगुलिमाल की कहानी। डाकू अंगुलिमाल और गौतम बुद्ध। डाकू अंगुलिमाल और महात्मा बुद्ध।
    • अंगुलिमाल डाकू साधू कैसे बना :
        • और देखें:

Daku Angulimal ki Kahani – बहुत समय पहले श्रावस्ती,  मगध मे अंगुलिमाल नाम का डाकू रहा करता था। उसका नगर मे बहुत आतंक था, लोग उससे भयभीत रहते थे। वह लोगों को लूट कर उनकी हत्या कर देता था और उनकी उंगली काटकर माला बना कर पहन लेता था , इस कारण से उसका नाम अंगुलिमाल डाकू पड़ गया था। लोगों को उसके सामने जाने से बहुत डर लगता था।

अंगुलिमाल की कहानी। डाकू अंगुलिमाल और गौतम बुद्ध। डाकू अंगुलिमाल और महात्मा बुद्ध।

एक बार महात्मा गौतम बुद्ध श्रावस्ती नगर मे आये। नगरवासियों को भयभीत देख, महात्मा बुद्ध ने नगरवासियों से उनके भय का कारण जानना चाहा, नगरवासियों ने डाकू अंगुलिमाल के बारे मे उन्हें बताया, ये सुन गौतम बुद्ध जंगल की ओर जाने के लिए तैयार हुये जहां अंगुलिमाल रहा करता था। नगरवासियों ने उन्हें जाने से मना करते रहे , उन्हें वहां जाने के खतरे से आगाह किया। महात्मा बुद्ध मौन रहे और जंगल की ओर चल पड़े।

जंगल मे बहुत अंदर जाने के बाद उन्होंने आवाज सुनी,  सुनो ऐ रूको.. ऐ रूको.. वह महात्मा को रूक जाने के लिए कह रहा था, अंगुलिमाल सोचने लगा इस जंगल मे कई आदमी मिलकर चलने मे भी भय खाते है और यह प्राणी अकेला ही चला जा रहा है, क्रोध और आश्चर्य के भाव उसके चेहरे पर थे। वह सोचने लगा यह अवश्य ही कोई असाधारण पुरुष है, अन्यथा उसकी आवाज को कोई यो अनसुना नहीं करता। उसने सोचा दौड़ कर जाता हूं, और इसकी हत्या कर देता हूं।

महात्मा बुद्ध उसकी आवाज को अनसुना कर आगे बढते रहे। वो फिर आवाज देता और महात्मा बुद्ध आवाज को अनसुना कर आगे बढते रहे। ये देख अंगुलिमाल बहुत क्रोधित हुआ। वह दौड़कर आया और महात्मा बुद्ध के सामने आकर क्रोध मे आकर बोला मै तुम्हें रूक जाने के लिए कह रहा हूं, तुम रुक क्यों नहीं रहे हो, तुम्हें मुझे देखकर भय नहीं लगता, मै सबसे शक्तिशाली ब्यक्ति हूं। महात्मा बुद्ध मुस्कराये और बोले नहीं वत्स , मै तो रुका ही हुआ ही हूं, अस्थिर तो तुम हो।

महात्मा बुद्ध बोले जाओ सामने वाले पेड़ से पत्ती तोड़कर लाओ, अंगुलिमाल गया और कुछ पत्तियां तोड़कर ले आया, महात्मा बुद्ध बोले जाओ अब इसे वापस पेड़ पर लगा कर आओ, अंगुलिमाल बोला ऐसा कैसे हो सकता है, पेड़ से टूटी पत्ती वापस कैसे जुड़ सकती है, महात्मा बुद्ध ने कहा, जब तुम इसे जोड़ नहीं सकते तो सबसे शक्तिशाली कैसे हुये ?

डाकू अंगुलिमाल और महात्मा बुद्ध मे वार्तालाप चल रहा था। महात्मा बुद्ध ने कहा तोड़फोड़ करना बच्चों का काम है, तुम तो अभी बड़े भी नहीं हुये, तुम तो अभी बच्चे ही हो। डाकू अंगुलिमाल महात्मा बुद्ध के चरणों मे गिर पड़ा और क्षमा याचना कर उनसे ज्ञान के कुछ और शब्द कहने की याचना करने लगता है।

अंगुलिमाल डाकू साधू कैसे बना :

महात्मा बुद्ध से मिलने के बाद दुर्दांत डाकू अंगुलिमाल के जीवनी मे परिवर्तन आता है। महात्मा बुद्ध अंगुलिमाल को कहते है ये जो तुम लूटपाट और लोगों को मारने का जघन्य अपराध करते हो। किसके लिए करते हो ? और इस लूट के माल का क्या करते हो, वह बोला अपने सगे सबंधियों मे बांट देता हूं। तब महात्मा बुद्ध बोले , पहले जाओ और उन्हें पूछ कर आओ, कि वह लोगों को लूटकर जो पाप कर रहा क्या वे इसमे भी भागीदारी करेंगे। जवाब उसकी आंखें खोल देने के लिए काफी था। उनका कहना था ये पापकर्म वे नहीं करते हैं इसलिए पाप के भागीदार वे नहीं हैं। इसके बाद डाकू अंगुलिमाल के जीवन मे सबसे बड़ा परिवर्तन आता है, वह खूंखार डाकू से बौद्ध साधू बन जाता है। महात्मा बुद्ध का उसके जीवन पर गहरा असर पड़ता है।

और देखें:

भगवान का शुक्रिया अदा करें।

प्रेरणादायक कहानी। 

कभी हार मत मानो।

प्रतिक्रिया आपको महान बना सकती है।

जीवन की कीमत जानिये।

Categories MOTIVATIONAL STORIES Tags Angulimal Daku, Motivational Story, Short Story
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2 thoughts on “अंगुलिमाल डाकू साधू कैसे बना। Daku Angulimal ki Kahani”

  1. Ashna Bisht
    December 6, 2021 at 9:01 pm

    Nice Story👏

    Reply
  2. Anu
    May 6, 2022 at 1:21 pm

    Very nice story.

    Reply

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