Geeta Updesh in Hindi. Geeta Gyan in Hindi. Geeta Saar in Hindi. गीता सार हिंदी में
Geeta Updesh in Hindi- श्रीमद्भागवत हिन्दुओं का पवित्र ग्रन्थ है, महाभारत में जब अर्जुन कुरुक्षेत्र युद्ध के मैदान में आते है तो चारो तरफ बंधु बांधवों, रिश्तेदारों, और गुरुजनो को देखकर उनका मन विचलित हो , वे ( अर्जुन ) अपना गांडीव नीचे रख देते है, और भगवान् श्रीकृष्ण से कहते है, भगवन मुझे ऐसा राज पाठ नहीं चाहिए जो मुझे मेरे बंधुओं, और रिश्तेदारों की मौत के पश्चात मिले।
तब भगवान् श्रीकृष्ण ने अर्जुन की शंकाओं के निवारण के कुछ उपदेश दिए थे जिन्हे हम गीता का उपदेश ( Geeta Updesh in Hindi ) कहते है, यह महाभारत के भीष्मपर्व के अंतर्गत गीतोपनिषद में आता है, इसमें सारे श्लोक संस्कृत में है, जिन्हे समझने के लिए समय समय पर विद्वानों ने इसका सरलीकृत रूप प्रस्तुत किया जिसे हम गीता का सार ( Geeta Saar In Hindi ) कहते हैं।
भगवत गीता में कर्म योग , भक्ति योग , ज्ञान योग की ब्याख्या बड़े सुन्दर ढंग से की गई है। श्री भगवत गीता में कुल 720 श्लोक हुए 18 अध्याय है, गीता को उपनिषदों और धर्मसूत्रों के बराबर माना गया है, जो ज्ञान उपनिषदों और धर्मसूत्रों में है, उसे ही गीता में बड़े सहज ढंग से बताया गया है, इसे 5000 वर्षों से भी ऊपर का समय हो गया , लेकिन इसकी उपयोगिता आज भी बरक़रार है। गीता का सार जीवन के गूढ़ रहस्यों को समझने में हमारी मदद करता है,
विश्व के अनेको सिद्ध पुरुषों, ऋषिमुनियों, दार्शनिकों, इतिहासकारों, वैज्ञानिकों ने श्रीमद्भागवत को मनुष्य की सफलता हेतु आवश्यक माना है। इसमें मानव को कर्मयोगी बनाने पर जोर दिया गया है , आप भी अगर अपने जीवन में सफलता प्राप्त करना चाहते है तो श्रीमद्भगवत गीता को अच्छी तरह समझ कर आत्मसात करें, यह निश्चित ही आपको सफलता की और ले जायेगा।
जीवन में अनेक क्षण ऐसे आते है जब हमारा मन दुविधाग्रस्त रहता है, उस समय गीता के उपदेश हमें इस स्थिति से बाहर निकलते हैं। अनेकों महापुरुषों ने गीता के उपदेश को अपने जीवन में उतारा है, इनमे अरविंदो घोष, लोकमान्य तिलक , तथा महात्मा गाँधी है।
गीता के उपदेश हिंदी में / गीता सार हिंदी में( Geeta Gyan in Hindi / Geeta Saar Hindi Quotes / Geeta Saar in Hindi )
- क्यों ब्यर्थ चिंता करते हो ? किससे ब्यर्थ डरते हो ? कौन तुम्हे मार सकता है, आत्मा अजर अमर है, आत्मा न पैदा होती है और न ही मरती है।
- जो हुआ अच्छा हुआ , जो हो रहा है अच्छा हो रहा है और जो होगा वह भी अच्छा होगा , जो बीत गया उसका पश्चाताप न कर , वर्तमान अभी चल रहा है और भविष्य की चिंता मत कर।
- तुम्हारा क्या गया जो तुम रोते हो ? तुम क्या लाये थे , जो तुमने को दिया , तुम का कुछ लेकर आये थे , हुए न ही कुछ लेकर जाओगे , जो लिया यहीं से लिया , जो दिया यहीं पर दिया। जो लिया इसी ( GOD ) से लिया, जो दिया इसी को दिया।
- खाली हाथ आये थे हुए खाली हाथ जाओगे , जो आज तुम्हारा है वो कल किसी और का होगा , और परसो किसी और का होगा, तुम्हारा अपना कुछ भी नहीं है, जिसे तुम अपना समझ कर प्रसन्न हो रहे हो वो तुम्हारा है ही, नहीं, यही प्रसन्नता तुम्हारे दुखो का कारण है।
- परिवर्तन ही इस संसार का नियम है, जिसे तुम मृत्यु समझ रहे हो वह आत्मा का विश्राम है, तेरा मेरा अपना पराया कुछ भी नहीं है ,जिस वक्त ये भेद मिटा दोगे , सभी कुछ तुम्हारा हो जाएगा।
- यह शरीर भी तुम्हारा नहीं है, और न ही तुम इस शरीर के हो, यह शरीर पंच तत्वों धरती, आकाश, अग्नि, वायु , और जल से मिलकर बना है, सब इसी में मिल जायेगा। केवल आत्मा शेष रहेगी। वह भी तुम्हारी नहीं है।
- तुम अपने आप को भगवान् को अर्पित कर दो, इसी में तुम्हारा कल्याण है, इसके सहारे तुम भय, शोक, चिंता से मुक्त रह सकते हो।
Geeta Saar in Hindi Quotes
- जीना का अंतिम सत्य मृत्यु है,
- आत्मा स्थायी है और मानव शरीर अस्थायी है,
- आत्मा अजर अमर है,
- क्रोध में मनुष्य का नाश हो जाता है, क्रोध पर नियंत्रण रखना चाहिए ,
- मनुष्य को अपने कर्म करना नहीं छोड़ना चाहिए ,
- मनुष्य को अपने मन को काबू में रखना चाहिए ,
- सबसे पहले खुद की क्षमता का आकलन करना चाहिए ,
- केवल अच्छे कर्म करे, परिणाम की चिंता छोड़ दे ,
- अपनी इन्द्रियों को अपने वश में रखे,
- चिंता या तनाव न करें, चिंता चिता सामान है,
- इस संसार में जितने भी देवी देवता वे सभी एक ही भगवान् के स्वरुप है,
- भगवान का सच्चे मन से ध्यान लगाने वाले सिद्ध योगी बन जाते है,
- संदेह की आदत दुखो का कारण है ,
- किसी भी तरह की अति मनुष्य के लिए घातक है, अति से सर्वदा बचें,
- हमेशा दूसरों की भलाई पर ध्यान दे ,
- ईश्वर सदैव आपके साथ है,
- खुद पर भरोसा रखे हुए अपने लक्ष्य को पाने के लिए लगातार प्रयास करें,
अंतिम शब्द
श्रीमद्भागवत गीता ( Geeta Updesh in Hindi / Geeta saar in Hindi ) धार्मिक ग्रन्थ नहीं है, यह केवल मनुष्य जाति के कल्याण के लिए है, इसे संसार का कोई भी आत्मसात करके अपने जीवन को सफल बना सकता है।