करीमुल हक की प्रेरणादायी कहानी| Karimul Haque Story in Hindi.

पद्मश्री पुरस्कार विजेता समाजसेवी करीमुल हक (Karimul Haque Story in hindi) कलकत्ता पश्चिम बंगाल के रहने वाले हैं, उन्हें लोग बाइक एम्बुलेंस दादा के नाम से भी जानते हैं। वह धालाबारी इलाके मे बीमार लोगों की मदद अपनी बाइक एम्बुलेंस मे उन्हें अस्पताल पहुंचा कर करते हैं।
कैसे मिली प्रेरणा:(Karimul Haque Story in hindi)
आज से लगभग 26 वर्ष पहले 1995 मे करीमुल हक अपनी बीमार मां को अस्पताल पहुंचाने के लिये एम्बुलेंस के लिये भटक रहे थे। ठीक समय पर इलाज न मिल पाने की वजह से उनकी माताजी की मृत्यु हो गयी, इस बात से उन्हें बहुत धक्का पहुंचा, इसके बाद उन्होंने निर्णय लिया कि हर जरूरतमंद बीमार को अस्पताल ले जाने की सुविधा देंगे। उन्होंने अपनी मोटर बाइक को मिनी एम्बुलेंस मे तब्दील किया और बीमार लोगों की अस्पताल पहुंचने मे मदद करने लगे। इसकी शुरुआत उन्होंने तब की जब उनके एक सहकर्मी की अचानक से तबियत खराब खराब हुयी, उन्होंने तुरंत ही उसे अस्पताल पहुंचाया जिससे उसकी जान बच सकी।
करीमुल हक वर्ष 1998 से समाज सेवा के इस काम मे लगे हुये हैं। वह धालाबारी इलाके के आसपास के 20 गांवों मे अपनी सेवा मुफ्त मे देते है। वह अभीतक लगभग 5500 बीमार लोगों की मदद कर चुके है। इसके अलावा वह गांव के जरूरतमंद को प्राथमिक चिकित्सा भी मुहैया कराते हैं।
करीमुल हक मालाबजार के राजदंगा मे अपने पत्नी अंजुया बेगम के साथ रहते है उनके दो पुत्र राजेश और राजू भी हैं। उनकी राजदंगा मे मोबाइल रिपेयर शाप भी है जिसकी कमाई का अधिकतम हिस्सा दवाओं और बाइक के लिये पेेेट्रोल खरीदने मे खर्च हो जाता है।
पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित करीमुल हक की प्रेरणादायी कहानी पर आधारित एक बुक भी लिखी जा चुकी है। पत्रकार और समाजसेवी विस्वजीत ने उनके जीवन पर आधारित किताब ‘ बाइक एम्बुलेंस दादा, द इंस्पायरिंंग स्टोरी ऑफ करीमुल हक’ लिखी है।
अभी हाल मे चुनाव के सिलसिले मे पीएम मोदी जब पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी पहुंचे, एयरपोर्ट पर बडी़ गर्मजोशी के साथ वह करीमुल हक से गले मिले।