नेताजी सुभाष चंद्र बोस (Subhash Chandra Bose: जयंती, पुण्यतिथि, स्लोगन एवं उपलब्धियां

महान स्वतन्त्रता सेनानी, आजाद हिंद फौज के संस्थापक, युवाओं के प्रेरणास्रोत एवं ओजस्वी वक्ता नेताजी सुभाष चंद्र बोस ( Subhash Chandra Bose ) को पूरी दुनियां जानती है। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम मे उनका अमूल्य योगदान अविस्मरणीय है।
भारत की आजादी का इतिहास सुभाष चन्द्र बोस ( Subhash Chandra Bose ) के बिना अधूरा है। आजाद भारत के लोग सदैव उनके ऋणी रहेंगे।
भारत सरकार नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के 125वे जन्मदिन को पराक्रम दिवस के रूप मे मना रही है।
सुभाष चंद्र बोस के जीवन के प्रमुख तथ्य ( Main Facts about Subhash Chandra Bose )
पूरा नाम : सुभाष चंद्र बोस
जन्मदिन : 23 जनवरी 1897
जन्म स्थान : कटक, उडीसा
पिता का नाम : जानकीनाथ बोस
माता का नाम : प्रभावती
पत्नी का नाम : ऐमिली शेंकल
बच्चे : एक पुत्री, अनीता बोस
शिक्षा : बी.ए. आनर्स ( 1919 ), स्काटिश चर्च कालेज
संगठन : आजाद हिंद फौज, फारवर्ड ब्लाक, स्वतंत्र भारत की अस्थायी सरकार
उपलब्धियां : आई.सी.एस. की परीक्षा पास करने वाले प्रथम भारतीय, दो बार भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष, भारत के स्वतंत्रता संघर्ष के लिये 11 बार ऐतिहासिक जेल यात्रा।
स्लोगन ( नारा ) : तुम मुझे खून दो मै तुम्हें आजादी दूंगा, जय हिंद, दिल्ली चलो ।
मृत्यु : 18 अगस्त 1945, विवादित
स्थान : ताईहोकू, ताईवान
मृत्यु का कारण : विमान दुर्घटना
सुभाष चंद्र बोस का जन्म एवं प्रारंभिक जीवन ( Subhash Chandra Bose Birthday and Early life )
सुभाष चंद्र बोस ( Subhash Chandra Bose ) का जन्म 23 जनवरी 1897 मे उडीसा के कटक मे हुआ था। उनकी माताजी का नाम प्रभावती देवी तथा पिताजी का नाम जानकीनाथ बोस था। उनके पिता प्रख्यात वकील तथा माता धार्मिक महिला थी। अपने माता पिता की 14 संतानों, आठ बेटे एवं छ बेटियां थी, सुभाष नौवीं संतान थे। उनके पिता को राय साहब की उपाधि मिली हुयी थी, अंग्रेजों के भारत की जनता के प्रति दमनकारी नितियों के खिलाफ उन्होंने यह उपाधि लौटा दी थी।
शिक्षा ( Subhash Chandra Bose Education )
सुभाष धनी परिवार से आते थे,इसलिये उनकी शिक्षा ठीक तरह से हो पायी। सुभाष पढने मे बहुत होशियार थे। उन्होंने कलकत्ता के स्काटिश चर्च कालेज से दर्शन शास्त्र मे स्नातक की उपाधि ली।
1916 मे जब वे बी.ए.आनर्स की पढा़ई कर रहे थे, तब किसी बात पर छात्रों और अध्यापकों मे झगड़ा हो गया, इसमें उन्होंने छात्रों का नेतृत्व किया, जिसके कारण उन्हें एक साल के लिए प्रेसीडेंसी कालेज से एक साल के लिये निलंबित कर दिया गया और परीक्षा पर रोक लगा दी गयी।
उसके बाद भारतीय प्रशासनिक सेवा की तैयारी के लिये 1919 मे इंग्लैंड चले गये। प्रशासनिक सेवा की परीक्षा मे इन्होंने चौथा स्थान हांसिल किया, 1920 मे इनका चयन हो गया। देशभक्त सुभाष ने जब जलियांवाला बाग हत्याकांड देखा तो इनका मन हो गया फलस्वरूप इन्होंने प्रशासनिक सेवा से 1921 मे स्तीफा दे दिया।
सुभाष अपने जीवन मे ग्यारह बार जेल गये। उन्हें नेताजी नाम से भी जाना जाता है। उन्हें सर्वप्रथम गांधीजी ने इस नाम से संबोधित किया था। उनका प्रख्यात नारा था ” तुम मुझे खून दो मै तुम्हें आजादी दूंगा “।
आस्ट्रिया मे प्रेम विवाह ( Marriage of Subhash Chandra Bose )
1934 मे आस्ट्रिया मे अपने प्रवास के दौरान उन्हें पुस्तक लिखने हेतु एक अंग्रेजी टाइपिस्ट की आवश्यकता हुयी, उनके एक मित्र ने उनका परिचय एक आस्ट्रियन महिला ऐमिली शेंकल से करा दिया। एमिली के पिता एक पशु चिकित्सक थे। ऐमिली और शुभाष एक दूसरे की ओर आकर्षित हुए, दोनों ने 1942 मे हिंदू पद्धति से विवाह कर लिया। वियेना मे एमिली ने एक पुत्री को जन्म दिया, जिसका नाम उन्होंने अनीता रखा। सुभाष ने उसे पहली बार तब देखा जब वह सिर्फ चार सप्ताह की थी।
सुभाष चंद्र बोस और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ( Subhash Chandra Bose and Indian National Congress )
सुभाष महात्मा गांधी के सम्पर्क मे आने के बाद कांग्रेस मे शामिल हो गये। 1928 मे कांग्रेस का वार्षिक अधिवेशन मोतीलाल नेहरू की अध्यक्षता मे कलकत्ता मे हुआ। उस समय साइमन कमीशन भारत आया, कांग्रेस ने इसका विरोध किया, सुभाष पूर्ण स्वराज चाहते थे, सुभाष समेत अनेकों नेता जेल मे डाल दये गये, महात्मा गांधी पूर्ण स्वराज नहीं चाहते थे, सुभाष एवं गांधी जी मे मतभेद उभर कर सामने आ गये।
1930 मे कांग्रेस का महाअधिवेशन जवाहरलाल नेहरू के नेतृत्व मे लाहौर मे हुआ, और निर्णय हुआ कि 26 जनवरी का दिन स्वतंत्रता दिवस के रूप मे मनाया जायेगा।
26 जनवरी 1931 को सुभाष राष्ट्रीय ध्वज फहरा कर विशाल रैली को सम्बोधित कर रहे थे। तभी पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेज दिया।
गांधी जी के हस्तक्षेप के बाद सुभाष व अन्य नेताओं को रिहा कर दिया, भगत सिंह को अंग्रेज सरकार ने रिहा करने से मना कर दिया। भगत सिंह को फासी दे दी गयी। भगत सिंह को न बचा पाने के कारण सुभाष, गांधी जी से बहुत नाराज हुए।
सुभाष ने 1939 मे काग्रेंस के त्रिपुरी अधिवेशन के बाद काग्रेंस अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया।
आजाद हिंद फौज का गठन
1941 मे सुभाष जर्मनी चले गये और भारत की स्वतंत्रता के लिये जापान से मदद मांगी। 1942 रेडियो बर्लिन से प्रसारण शुरू किया, जिससे लोगो मे जोश बढा। 1943 मे वे सिंगापुर आ गये। और “आजाद हिन्द फौज ” का गठन किया।

दिल्ली चलो का नारा
द्वितीय विश्व युद्ध समाप्त हो गया था, सुभाष ने जापान की मदद से भारत पर आक्रमण किया , उन्होंने यहां पर लोगों का उत्साह बढाने के लिए दिल्ली चलो का नारा दिया। उन्होंने अंडमान निकोबार आईलैंड पर कब्जा कर लिया।
1944 मे आजाद हिंद रेडियो से प्रसारण मे उन्होंने आजाद हिन्द फौज के गठन के उद्देश्यों के बारे मे लोगों को बताया। इस भाषण मे उन्होंने गांधी जी को राष्ट्रपिता कह कर संबोधित किया था।
सुभाष की मृत्यु पर विवाद ( Death of Subhash Chandra Bose )
द्वितीय विश्व युद्ध मे जापान की हार हो गई। भारत के स्वतंत्रता संघर्ष को जारी रखने के लिये उन्होंने रुस से मदद लेने का निर्णय किया। 18 अगस्त 1945 मे नेताजी सुभाष हवाई जहाज से मंचूरिया की तरफ जा रहे थे। उसके बाद वे गायब हो गये। 1945 मे रेडियो टोक्यो ने बताया 18 अगस्त को नेताजी का विमान ताईहोकू हवाई अड्डे के पास उनका विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया। विमान मे उनके साथ जनरल शोदई पायलट तथा और भी लोग शामिल थे। नेताजी गंभीर रूप से घायल हो गये थे उन्हें ताईहोकू सैनिक अस्पताल ले गये जहां पर उन्होंने दम तोड़ दिया। कर्नल हबीबुर्रहमान के अनुसार अंतिम संस्कार ताइहोकू मे ही कर दिया गया।
आजादी के बाद नेताजी सरकार ने नेताजी की मृत्यु की जांच के लिये तीन कमीशन नियुक्त किए। दो कमीशन ने अपनी जांच मे नेताजी की हवाई दुर्घटना को सही माना, जबकि एक आयोग ने इसे कोरा बकवास बताया और इसके पक्ष मे तथ्य भी प्रस्तुत किए। भारत सरकार ने बिना कुछ कारण दिये इसे रद्द कर दिये और बाकी दो कमीशन के आधार पर नेताजी की विमान दुर्घटना मे मृत्यु की पुष्टि कर उसे सार्वजनिक कर दिया।
और भी देखें:
MDH मसाला किंग धर्मपाल गुलाटी (Dharmpal Gulati) की बायोग्राफी
Roshni Nadar (रौशनी नादर) – देश की सबसे अमीर महिला।
Shiv Nadar Biography in Hindi-शिव नाडार की जीवनी।
Geeta Fogat Biography in Hindi-गीता फोगाट की जीवनी।
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