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Swami Vivekananda – Hindu Monk, स्वामी विवेकानंद – हिंदू संत

October 6, 2020August 31, 2020 by Yashwant Bisht
Swami Vivekananda, स्वामी विवेकानंद

Swami Vivekananda – स्वामी विवेकानंद

Table of Contents

  • Swami Vivekananda – स्वामी विवेकानंद
    • प्रारंभिक जीवन एवं शिक्षा
    • गुरु रामकृष्ण के साथ स्वामी जी
    • मृत्यु
      • और भी पढ़ें :

 

स्वामी विवेकानंद का असली नाम नरेन्द्र नाथ दत्त था। नरेन्द्र नाथ 19वीं शताब्दी के संतो मे से एक राम कृष्ण के शिष्य थे।

स्वामी विवेकानंद की भारत मे हिंदू धर्म के प्रचार प्रसार मे मुख्य भूमिका थी। विदेशों मे भी हिन्दू धर्म के प्रचार मे इनकी बड़ी भूमिका थी। शिकागो के विश्व धर्म सम्मेलन की शुरुआत  ” मेरे अमेरिकन भाईयों और बहनों ” से करके शेष विश्व का हिंदू धर्म से परिचय करवाया।

स्वामी विवेकानंद ने राम कृष्ण मठ और राम कृष्ण मिशन की शुरुआत की थी।

हिंदू संत स्वामी विवेकानंद का जन्म कलकत्ता के एक कायस्थ परिवार मे हुआ था।विवेकानंद बचपन से ही आध्यात्मिक प्रवृत्ति के थे। बचपन से ही उनका झुकाव सांसारिक दुनिया से अलग अध्यात्म की ओर था। उनके जीवन पर उनके गुरू राम कृष्ण का गहरा प्रभाव था।

अपने गुरु की मृत्यु के उपरांत स्वामी जी सम्पूर्ण भारत भ्रमण पर निकले और तात्कालीन भारत मे लोगों के दुःख और समस्याओं को समझने की कोशिश की। सम्पूर्ण भारत भ्रमण के बाद स्वामी जी यूरोप और अमेरिका की यात्रा की। इसी दौरान अमेरिका मे उन्होंने विश्व धर्म सम्मेलन मे अपना भाषण भी दिया।

प्रारंभिक जीवन एवं शिक्षा

स्वामी विवेकानंद का जन्म 12 जनवरी 1863 को कलकत्ता के कायस्थ परिवार मे हुआ था। उनके पिता का नाम विश्वनाथ दत्ता तथा माता का नाम भुवनेश्वरी देवी था। उनके पिता कलकत्ता हाईकोर्ट के नामी वकील थे।

अत्यंत कुशाग्र बुद्धि के नरेंद्र नाथ संगीत मे भी रुचि था। वो दोनों प्रकार के संगीत वोकल और इंस्ट्रूमेंटल रूचि रखते थे। नरेंद्र नाथ की प्रारंभिक शिक्षा कलकत्ता मेट्रोपोलिटन स्कूल मे हुयी। तथा बाद की शिक्षा उन्होंने प्रेसीडेंसी कालेज कलकत्ता से पूरी की। नरेंद्र पढाई के साथ साथ योग खेल एथलेटिक्स आदि गतिविधियों मे भी भाग लिया करते थे। उन्होंने हिन्दू धर्म ग्रंथो जैसे वेद, उपनिषद, पुराण, भागवत गीता, रामायण आदि का बहुत गहराई से अध्ययन किया। उन्होंने पश्चिमी सभ्यता, दर्शन, तर्क, और  इतिहास का भी अध्ययन किया।

स्वामी विवेकानंद ने 1884 मे अपनी ग्रेजुएशन की। इसके बाद उन्होंने वकालत की पढाई पूरी की। 1984 इनके लिये कष्टकारी समय था इस वर्ष इनके पिता का निधन हो गया जिसके बाद अपने सभी 9 भाई बहनों की जिम्मेदारी नरेन्द्र नाथ पर आ गई और उन्होंने इस जिम्मेदारी को बखूबी निभाया।

Swami vivekanand

 

गुरु रामकृष्ण के साथ स्वामी जी

नरेन्द्र नाथ 1881 मे पहली बार रामकृष्ण से मिले। जिन्होंने नरेन्द्र की पिता की मृत्यु के बाद नरेन्द्र नाथ आध्यात्मिक प्रकाश डाला।नरेन्द्र नाथ बचपन से ही बड़े जिज्ञासु प्रवृत्ति के थे। अपने इसी स्वभाव के कारण एक बार उन्होंने महर्षि देवेन्द्र नाथ से सवाल पूछा था ” क्या आपने कभी ईश्वर को देखा है ” महर्षि आश्चर्य मे पड गये। उन्होंने नरेन्द्र नाथ की इस जिज्ञासा को शांत करने के लिए रामकृष्ण परमहंस के पास जाने की सलाह दी। रामकृष्ण परमहंस द्वारा दी गई शिक्षा से स्वामीजी इतने प्रभावित हुए कि उन्हें अपना गुरू मान लिया।

1885 मे रामकृष्ण परमहंस कैंसर से पीड़ित हो गये। नरेंद्रनाथ और उनके साथियों ने रामकृष्ण की बहुत सेवा की। इस बीच परमहंस श्यामपुकुर कलकत्ता शिफ्ट हो गये। कुछ समय बाद स्वामीजी ने कोस्सीपोरे मे एक भवन किराये पर लिया। यहां अपने कुछ साथियों जिनकी परमहंस मे श्रद्धा थी, के साथ मिलकर एक ग्रुप बनाया। स्वामी जी परमहंस को कलकत्ता से कोस्सीपोरे वापस ले आये। और यहीं पर अपने साथियों के साथ मिलकर उनकी सेवा करते रहे। यहीं पर अपने साथियों के साथ परमहंस से भगवा धारण किया। अपने गुरू के बताए रास्ते पर चलते हुए तपस्वियों की तरह जीवन जीने लगे।

स्वामी विवेकानंद को गुरु रामकृष्ण ने मठवासियों का ध्यान रखने को कहा। अब स्वामीजी छवि मठवासियों मे एक गुरु की बन गई थी। रामकृष्ण का कोस्सीपोरे मे 16 अगस्त 1886 निधन हो गया।

स्वामी विवेकानंद ने अपने गुरू के नाम पर रामकृष्ण मठ की स्थापना की। नरेन्द्र ने अब त्याग और ब्रह्मचर्य का व्रत लिया। अब वे नरेन्द्र नाथ से स्वामी विवेकानंद के नाम से जाना जाने लगे। 

Swami Vivekananda 1

 

स्वामी विवेकानंद अब गेरूए वस्त्र पहन कर पैदल ही भारत की यात्रा पर निकले पड़े। अयोध्या आगरा वृंदावन वाराणसी की यात्रा करते हूए अलवर राजस्थान की ओर निकल पड़े। रास्तेभर मे वे अनको राजाओं, जनसाधारण से मिलते रहे। उन्हें जनसाधारण व्याप्त कुरीतियों जैसे जातिगत भेदभाव और गरीबी का पता चला। 

स्वामी विवेकानंद दिसम्बर 1893 केरल पहुंचे। कन्याकुमारी मे तीन दिन तक समाधि मे लीन रहे।यात्रा के दौरान स्वामी विवेकानंद को शिकागो मे होने वाली विश्व धर्म सम्मेलन का पता चला। केरल यात्रा से लौटने के बाद स्वामी विवेकानंद शिकागो अमेरिका मे होने वाले विश्व धर्म सम्मेलन मे भारतीय प्रतिनिधि बन कर पहुंचे। यहां पर उन्होंने हिन्दूत्व एव़ अपने गुरु रामकृष्ण परमहंस द्वारा दी गई शिक्षा को दुनियाभर से आये धर्मगुरुओं के सामने रखा। अपने संबोधन की शुरुआत उन्होंने  ” मेरे अमेरिकन भाईयों एवं बहनो ”  से की जिस पर उन्हें उपस्थित श्रोताओं से खूब सराहना मिली। लगभग ढाई साल तक वे अमेरिका मे रहे। न्यूयार्क मे उन्होंने वेदांता समाज की स्थापना भी की। 

 स्वामी विवेकानंद 1894 मे यूनाइटेड किंगडम पहुंचे। यहां पर उन्होंने वेदांत और हिंदू आध्यात्म का परिचय पूरी दुनिया से कराया।

मृत्यु

स्वामी विवेकानंद ने एक बार कहा था कि वे चालीस वर्ष की आयु तक नहीं जा पायेंगे। बैलूर मठ मे 4 जुलाई 1902 को रोज की तरह स्वामी जी अपने शिष्यों को गणित ,संस्कृत, ब्याकरण पढा रहे थे। सांय लगभग 7 बजे मेडिटेशन के लिए अपने कमरे मे चले गये। रात्रि के समय मेडिटेशन के दौरान ही उनकी मृत्यु हुयी। उनके शिष्यों ने कहा कि स्वामी जी की मृत्यु महासमाधि मे हुई है। बैलूर मे गंगा नदी के किनारे उनकी अंतिम क्रिया हुयी।

 

और भी पढ़ें :

रतन टाटा – भारतीय उद्योगपति, Ratan Tata – Indian Industrialist.

बिल गेट्स – Motivational Story in Hindi-Bill Gates.

स्टीव जॉब्स – Steve Jobs Motivational story in Hindi.

जेफ बेजोस – Jeff Bezos Motivational story in Hindi.

Categories HINDI BIOGRAPHY Tags Biography of Swamivinekananda, Hindu Monk, Swami Vivekananda
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1 thought on “Swami Vivekananda – Hindu Monk, स्वामी विवेकानंद – हिंदू संत”

  1. Ashna
    September 20, 2020 at 6:22 pm

    Good post.

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