Personal Finance क्या है जानें
Personal Finance का मतलब ब्यक्तिगत वित्त प्रबंधन। ब्यक्तिगत आवश्यकताओं की पूर्ती के लिए पूंजी के प्रबंधन और वितरण को पर्सनल फाइनेंस कहते है। एक ब्यक्ति के जीवन में जो मुख्य जिम्मेदारियां हें , बच्चों की पढाई, उनके शादी -विवाह , स्वयं के रिटायरमेंट के बाद की ब्यवस्था, इमरजेंसी जैसे बीमारी के लिए धन की ब्यवस्था आदि के लिए पूंजी और देनदारियों की ब्यवस्था पर्सनल फाइनेंस के अंतर्गत आता है।
हम अपने पूरे जीवन में धन कमातें हें और उसे जरूरत के हिसाब से खर्च करतें रहतें हें लेकिन अगर इसे हम Personal फाइनेंस के हिसाब से नियमित करते रहें तो अपने जीवन में मकान , कार और अन्य सुख सुविधाएँ पा सकतें है।
आसान शब्दों में कहें तो ” पर्सनल फाइनेंस ब्यक्ति द्वारा उसके धन के कुशलता पूर्वक नियोजन और खर्चे को कहते है जिसमें वह अपने व अपने परिवार की सामान्य जरूरतों और सुरक्षा जरूरतों की पूर्ती करता है। “
Personal Finance की जरूरत क्यों ?
दोस्तों सभी लोग जिंदगी भर धन कमातें हें , अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए, अपनी सुख सुविधा और आराम के लिये, पर क्या कभी आप ने सोचा है कुछ लोग अपने जीवन कुछ समय बीत जाने के अच्छी खासी सम्पति अर्जित कर लेतें हें वहीँ कुछ लोग धन अर्जित करने के नाम पर ज्यादा कुछ नहीं कर पातें हें, ऐसा क्यों होता है। ऐसा इसलिए होता है जो लोग धन कमाने के साथ साथ पर्सनल फाइनेंस की विधियाँ भी अपनातें हें, अपनी कमाई अथवा सैलरी का एक निश्चित भाग, Personal Finance की युक्तियों में लगते हें वो कुछ अंतराल बाद अच्छी फाइनेंसियल स्थिति में आ जातें है।
ऐसे में हम कह सकते है कि कुछ लोग मनी मैनेजमेंट अच्छी तरह से कर लेते हे वहीँ कुछ लोग पैसो को उतनी अच्छी तरह से नहीं मैनेज कर पाते हे, अधिकतर लोगों के साथ कुछ कॉमन प्रॉब्लम होती है, जैसे आपने लोगों को कहते सुना होगा कि,
पैसे आतें हे और चले जातें है,
पैसा तो बहुत कमाया लेकिन पैसा रुकता ही नहीं,
क्या करूँ महीने के अंत में हाथ में एक पैसा नहीं बचाता है, अकाउंट खाली हो जाता है,
इन सभी लोगों की एक ही समस्या Personal Finance मैनेजमेंट अच्छी तरह से ना करना।
Personal Finance मैनेज करने की टिप्स
पैसा कमाना और पैसा संभालना दोनों अलग अलग बातें है, हल किसी के पैसे कमाने औए पैसा संभालने की एक दुसरे से भिन्न होती हे, फिर भी कुछ कॉमन टिप्स हे जिससे हम अपने Personal Finance को अच्छी तरह से मैनेज कर सकते है,
अपने खर्चों में कटौती करें – अपनी मासिक खर्चों को नोट करने के लिए एक डायरी बनाये, जिसमे आपके हर महीने के खर्चों का हिसाब होना चाहिए, फिर देखे की कोन से ऐसे खर्चे हे जो टाले जा सकते थे, अर्थात जिन्हें ना करने पर कोई ख़ास फर्क पड़ने वाला नहीं था, जैसे कुछ लोगों की आदत होती हे कुछ खरीदने अगर मार्किट जायेंगे तो दो चीजे और लेकर आजायेंगे।
बजट तैयार करें – इनकम ,खर्चे और सेविंग्स की रूप रेखा तैयार करें, हमारा बजट 50 +30+20 के पैटर्न पर होना चाहिए, यानि आपकी मंथली सैलरी का 50 % खाने – पीने , बच्चों की फीस, किराया भाडा आदि पर खर्च होना चाहिए, 30% लाइफ स्टाइल यानि आपके कपड़ो, घूमने फिरने पर खर्च हो, शेष 20% आपका सेविंग्स के लिए होना चाहिए।
बचत और सेविंग्स – वह फिक्स डिपाजिट, पीपीएफ , म्युचूअल फण्ड, गोल्ड, या फिर रियल एस्टेट में से किसी में भी कर सकते है।
बीमा – इसमें सभी तरह का बीमा आता है जीवन का, घर का, गाड़ी का, जिनकी हमारे जीवन में आवश्यकता पड़ती रहती है।
टैक्स एवं ई.एम. आई. – सुनियोजित तरीके से टैक्स की प्लानिंग करें व अपनी ई.एम. आई. का भुगतान समयानुसार करें, वेतनभोगी वर्ग अपने टैक्स की बचत के लिए विभिन्न प्रकार के टैक्स सेवर फण्ड को ले सकतें हें, समयानुसार ई.एम. आई. का भुगतान करने से आपका क्रेडिट स्कोर अच्छा रहता है, जिससे भविष्य में यदि आपको फिर लोन की आवश्यकता हुई, तो वह बैंक से लेने में आसानी रहती है।
दोस्तों Personal Finance का विषय बहुत विस्तृत हे, फिर भी मेने इसे आसन शब्दों में समझने का प्रयास किया है , आशा हे कि ये आर्टिकल आपको पसंद आय होगा, Personal Finance पर भविष्य में और भी आर्टिकल लाता रहूँगा।